‘एक क्रिकेटर को ये समझ होनी चाहिए कि कब उसकी पारी समाप्ति का वक़्त आ गया है’
क्रिकेट के शौकीन अंकित अग्निहोत्री का कहना है कि नए खिलाड़ी नया जोश और नई तकनीक लेकर आते हैं जो खेल की बदलती जरूरतों के लिए महत्वपूर्ण है। उनके विचार:
एक क्रिकेट प्रशंसक के रूप में मुझे सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और हालिया विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों को मैदान में प्रदर्शन करते हुए देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान बेजोड़ है, और उन्हें अपने चरम पर खेलते देखना एक बेहतरीन तजुर्बा था। मगर इन सभी दिग्गज खिलाडियों के अंतिम मैचों पर नजर दौडाओं, तो देख सकते हैं जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है उनके फॉर्म में उतार-चढ़ाव होता है। प्रशंषकों को सुनने में बुरा लग सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि वे कुछ ज्यादा ही समय तक टिके हुए हैं। किसी बिंदु पर, महानतम लोगों को भी पीछे हटना पड़ता है, और ऐसा महसूस होता है कि हमारे कुछ वर्तमान सितारों के लिए वह पॉइंट आ गया है।
अपने मौके की प्रतीक्षा कर रहे युवा, होनहार खिलाड़ियों की संख्या पर ध्यान न देना दुर्भाग्यपूर्ण है। इन खिलाड़ियों में क्रिकेट की दुनिया पर छा जाने की ऊर्जा, कौशल और भूख है, लेकिन उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है। आमतौर पर उन्हें आयरलैंड या जिम्बाब्वे जैसी कमजोर टीमों के खिलाफ ही मौका दिया जाता है। यह उनके कॉन्फिडेंस के लिए अच्छा नहीं है।
उन्हें मजबूत टीमों के खिलाफ असल प्रदर्शन कौशल की जरूरत है, ताकि वे वास्तव में उभर कर आगे आ सकें और दिखा सकें कि वे किस मिट्टी के बने हैं। वरिष्ठ खिलाड़ियों के अपनी जगह पर अड़े रहने के कारण, इन युवा क्रिकेटरों के पास बहुत सीमित अवसर रह जाते हैं। ऐसा लगता है कि वे इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि कोई उन्हें मैदान में उतारेगा, लेकिन वह पल कभी आता ही नहीं है और उम्र निकल जाती है।
क्रिकेट एक ऐसा खेल है नित नए तकनीक और बदलाव आते रहते हैं, चाहे वो कला कौशल को लेकर हों या खेल के नियमों को लेकर। प्रत्येक पीढ़ी खेल में कुछ नया लेकर आती है। जहाँ तजुर्बे की अहमियत है, वहां यह भी सच है कि मैदान पर नई ऊर्जा और नई रणनीतियां लाने के लिए युवा खिलाड़ियों को शामिल करने की जरूरत है। कोहली और शर्मा जैसे खिलाड़ियों के इतने लंबे समय तक नेतृत्व करने के कारण, हम उन पर कुछ ज्यादा ही निर्भर हो गए हैं। अब समय आ गया है कि वे खुद अगली पीढ़ी को आगे बढ़ाने में मदद करें। एक ऐसी टीम की कल्पना करें जो अनुभवी पेशेवरों और युवा प्रतिभाओं के तालमेल से बनी है – जहां युवा खिलाड़ियों को दिग्गजों के साथ सीखने को मिलता है। इस तरह एक टीम अजेय बन सकती है।
किसी भी टीम के लिए तजुर्बे और जोश की बराबर अहमियत होती है। जब गावस्कर रिटायर हुए, तो उन्होंने खिलाड़ियों की अगली कतार के लिए जगह बनाई, जो खेल में अपनी शैली और ताकत लेकर आए। जब तेंदुलकर ने संन्यास लिया, तो यह दुखद था, लेकिन इससे नए सितारों को उभरने का मौका मिला। अब, रोहित और विराट को इसे पहचानने और सितारों की अगली खेप के लिए जगह बनाने की जरूरत है। उन्होंने पहले ही अपनी विरासत सुरक्षित कर ली है – अब सम्मानपूर्वक पैड उतार देने से उनकी खुद की इज्जत में इजाफा होगा।
भारतीय क्रिकेट निजी सितारों से कहीं अधिक है; यह एक ऐसी टीम बनाने के बारे में है जो आने वाले वक़्त में निरंतर बेहतरी की ओर बढ़ती रहे, मैदान पर एक दमदार ताकत बनी रह सके। युवा क्रिकेटर गति, चपलता और आज के खेल की शारीरिक मांगों की क्षमता लाते हैं, जबकि अनुभवी खिलाड़ी दबाव में कैसे धैर्य और खुद को संतुलित रखना है, ऐसी क्षमता रखते हैं।
अंततः एक बात और, यह विचार किसी को बाहर धकेलने के बारे में नहीं है। यह सुनिश्चित करने के बारे में है कि टीम मजबूत, संतुलित और दूरदर्शी बनी रहे। वरिष्ठ सितारों के शानदार प्रदर्शन से उभरती प्रतिभाओं के लिए दरवाजे खुलेंगे और भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को उत्साहित होने के लिए एक नई पीढ़ी मिलेगी, बिना उस भावना और उत्साह को खोए जो गावस्कर, तेंदुलकर, कोहली और शर्मा जैसे दिग्गज खेल में लाए थे।